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मंगलवार, 25 अगस्त 2015

शरीर में आत्मा का निवास कहाँ होता है ...ड़ा श्याम गुप्त ..

                   



                   आत्मा का निवास कहाँ होता है
          ब्रह्मा से बालखिल्य मुनियों ने पूछा कि आत्मा कहां स्थित है तो वे बोले- यह आत्मा तेज, संकल्प, प्रज्ञान, अहंकार व प्रजापति आदि पांच रूपों में ह्रदय गुहा में स्थित  रहता है | सत्य संकल्पित मन, प्राण भी यही आत्मा है |
          वृहदारण्यक उपनिषद् में आत्मा को चावल या यव (जौ) के दाने के सामान सूक्ष्म , हृदय में स्थित बताया है |


     कठोपनिषद १/२० कहता है --- 
“अणो अणीयान, महतो महीयानात्मास्य जन्तोर्निहितो गुहायाम “ ------यह लघुतम से भी लघुतम व महान से भी महान आत्मा प्राणियों के गुहा ( ह्रदय ) में स्थित रहता है |
     कठोपनिषद १/१२ में कथन है – 
“ते ददर्श गूढ्मनुप्रविष्ठं, 
गुहाहितं गह्वरेष्ठं पुराणे |”
---.--अर्थात पुराणों के गूढ़ ज्ञान रूपी गहन गुहा में प्रविष्ट करके उसे ( आत्मा को ) देखा/ जाना जा सकता है|
     यहाँ ब्रह्म व आत्मा का एकत्व प्रतिपादित करते हुए कठोपनिषद का कथन है----
कठ. २/१३ में कहा है-- तस्मात्म स्थं ये अनुपश्यन्ति धीरा ...
-----धीर लोग उसे ( ब्रह्म को )आत्म में स्थित देखते हैं |
कठोपनिषद २/१७ में कथन है---
अंगुष्ठ मात्र पुरुषोsन्तरात्मा:, 
सदा जनानां हृदये संनिविष्ठ:....
------यह अंगुष्ठ आकार का पुरुष या आत्मा सदा मनुष्य के ह्रदय में स्थित रहता है |

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